! " मी शिवप्रेमी आणि निसर्ग प्रेमी बीजे " !

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Wednesday, 3 June 2015

!!! "समुद्र के किनारे … " !!!





कितने सारे पेड़ चाहिएं नारियल के

इस प्रदेश को हरा-भरा दिखने के लिए

और बगल से, वेग से आगे बढ़ता पानी समुद्र का

जिस पर जलते हुए सूर्य की चिंगारी ठंडी होती हुई।

इस रेतीले तट पर निशान ही निशान लोगों के

जैसे सभी को पहचान दे सकती हो यह जगह।

हवा उठती है बार-बार लहरों की तरह

मेरे पंख हों तो मैं भी उड़ चलूं।

चारों तरफ यात्री ही यात्री

और सामने सूचना पट पर लिखा है

खतरा है पानी के भीतर जाने से

और एकाएक अनुशासन को टटोलता हूं

मैं अपने भीतर।

और यकीन करता हूं कि

खुशियों के  साथ इनका भी कुछ संबंध है।




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